30 साल बाद जागी UP पुलिस! 1995 में हुई थी युवक की हत्या, अब जाकर 7 आरोपियों पर FIR; पिता ने न्याय की आस में दम तोड़ा
30-Year-Old Jalaun Murder Case
जालौन: 30-Year-Old Jalaun Murder Case: उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में 30 साल पहले हुई एक युवक की हत्या के मामले ने न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मंगलवार को कोटरा थाने में 7 लोगों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई है। पीड़ित परिवार को न्याय की आस में थाने और कोर्ट के चक्कर काटते-काटते पिता ने दम तोड़ दिया। दो आरोपी भी इस बीच मर चुके हैं।
27 साल पहले निचली अदालत ने पुलिस को रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया था, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। यहां तक कि कोर्ट की पत्रावली भी गायब हो गई। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद 10 सितंबर को निचली अदालत ने थानाध्यक्ष को हत्या की FIR दर्ज करने और गायब पत्रावली की जांच के आदेश दिए।
जमीन हड़पने के लिए साजिश
दरअसल, कोंच कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला सुभाष नगर के निवासी उमाशंकर बाजपेयी ने अक्टूबर 1995 में कोटरा थाना पुलिस को तहरीर दी थी। उन्होंने बताया कि उनका पुत्र प्रदीप कुमार बाजपेयी (22 वर्ष) मोहल्ले के मौसेरे भाई कुलदीप नारायण, प्रेम नारायण सौनकिया, श्याम नारायण के साथ 5 अक्टूबर 1995 की सुबह डीसीएम से प्रतिमा विसर्जन के लिए सैदनगर स्थित बेतवा नदी पर गया था।
शाम को विसर्जन के बाद रिश्तेदारों श्रीराम, राकेश, देवेश, प्रेम नारायण, कुलदीप नारायण, अनिल कुमार और अनूप कुमार ने प्रदीप की हत्या की साजिश रची। उन्होंने प्रदीप को नदी में ले जाकर डुबो दिया। पीड़ित ने आरोप लगाया कि जमीन हड़पने के लालच में यह वारदात की गई। कई लोगों ने इस घटना को देखा भी था, लेकिन प्रदीप का शव आज तक नहीं मिला।
तहरीर के बावजूद FIR न दर्ज करना और पत्रावली गायब
पीड़ित उमाशंकर बाजपेयी का आरोप था कि तहरीर देने के बाद भी पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की। उन्होंने 7 अक्टूबर 1995 को तत्कालीन एसपी आरपी सिंह को प्रार्थना पत्र दिया, जिन्होंने थानाध्यक्ष को कार्रवाई के आदेश दिए। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। परेशान होकर उमाशंकर ने कोर्ट में वाद दायर किया। 14 अक्टूबर 1998 को कोर्ट ने रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया, लेकिन पुलिस ने फिर अनदेखी की। कोर्ट से भेजी गई पत्रावली भी गायब हो गई। इससे तंग आकर पीड़ित ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की।
पिता की 2021 में मौत
इस लंबी कानूनी लड़ाई के दौरान वादी उमाशंकर बाजपेयी की 2021 में मौत हो गई। उनके छोटे पुत्र देवेंद्र बाजपेयी ने मुकदमे की पैरवी संभाली और हाईकोर्ट पहुंचे। इस बीच, आरोपी देवेश की 1996 और प्रकाश की 2007 में बीमारी से मौत हो चुकी है। हाईकोर्ट ने 18 जून 2025 को जनपद न्यायाधीश को गायब रिकॉर्ड की जांच कर रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया।
10 सितंबर को न्यायिक मजिस्ट्रेट शिंजिनी यादव की अदालत में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए उन्होंने थाना कोटरा को सातों आरोपियों श्रीराम, राकेश, प्रेम नारायण, कुलदीप नारायण, अनिल कुमार, अनूप कुमार और श्याम नारायण के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए। साथ ही, गायब पत्रावली की जांच का भी निर्देश दिया।
कोर्ट के आदेश पर FIR दर्ज
अपर पुलिस अधीक्षक जालौन प्रदीप कुमार वर्मा ने कोर्ट के आदेश पर मंगलवार को सातों आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 302 (हत्या) के तहत FIR दर्ज कर ली है। पुलिस ने कहा कि जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह मामला पुलिस की लापरवाही और न्याय प्रक्रिया में देरी को उजागर करता है। पीड़ित परिवार को अब न्याय की उम्मीद है, लेकिन दोषियों की मौत से सजा का सवाल अनुत्तरित है।